नारायण नागबली पूजा
नारायण नागबली ये श्राद्ध "काम्यश्राद्ध" कहलाते है| पितरो के प्रीतर्थ किये जाने वाले श्राद्ध को शास्त्र से पित्तृयद्न्य कहते है| पितरही अपने कुल का विरुद्ध करते है| इसलिए उनका श्राद्ध करके उन्हे संतूष्ट रखें ये शास्त्र में बोला गया है |
इस विधि का प्रमुख उद्देश है, अपने अतृप्त पितरोंको तृप्त करना| उन्हे सदगती देना| जब अपने कु्टूंब मे पितृदोष, अपत्यहिनता, संतती दोष, कष्ट्मय जिवन, जीवनभर दरिद्रता, शरिरके विकार, भूतप्रेत पिशाच्च बाधा, अपमुल्य, अपघातोंका सिलसिला इन सभी संकटोसे निशित रूपसे मुक्ती पाने के लिए शास्त्र अनुसार नारायण नागबली विधान बोला गया है| हर इन्सानने अपने जीवन मे पिरतोंकी मुक्ती के लिए एक बार श्री श्रेत्र त्र्यंबकेश्र्वर स्थानपर नारायण नागबली पुजा करनी चाहीए ऐसा शात्र कहता है| नारायण नागबली ये विधी मानव की अपूर्ण कामना पूर्ण करने के उद्देश से किए जाते है| इसलिए ये विधी "काम्य" कहलाते है|
संतती प्राप्ती के लिए प्रेत योनी से होनेवाली पीडा दूर करने के लिए| अपने परिवार के किसी भी सदस्य के दुर्मरण के कारण इहलोक छोडना पडा हो उससे होनेवाली पीडा के परिधरार्थ दुरमरण याने बुरी तरह से आई मौत, अपघात, आत्महत्या, पानी मे डूबकर मरना, मनुष्य क्रोध के कारण या घरके या परिवारके अशांती के कारण घरसे हमेशा के लिए चले जाना, और फिर उनका शास्त्र के अनुसार श्राद्ध न होना ये सब पितृदोषके लक्षण है| ऐसे मरण को ही दुर्मरण कहते है|
संतती - प्राप्ति संतती विशेष रूपसे पुत्र संतती का ना होना यह दुर्भाग्य माना गया है| पती पत्नी के कुंडली मे संतती योग है या नही? योग है तो फिर संतती होने मे विलंब में पूर्वजन्म का शाप, पितृशाप, सर्पशाप, शरीर के विकार, भुतप्रेत पिशाच्च भाधा आदी कारण से संतती होने में विलंब होता है| यह देख कर उसके अनुसार विशिष्ट शुभ (नक्षत्र) के उपर नारायण नागबली पुजा विधीवत करने से निश्चित रूपसे संतती कि प्राप्ती होती है|
प्रेतयोनीसे होने वाली पिडा इस जन्म में या पिछले जन्म मे किसी दुसर्व की संपत्ती, मकान,खेती, पैसा आदी ज का अपघर करने से जिसकी ऐहिक संपत्ती का अपघर हुआ है वह जीवात्मा ऐहिक संपत्ती मे अटकी हुई उसकी वासना के कारण अपधरणकर्ता को तकलीफ देता है| इस जिवात्मा का शरिर यद्यापी जलकर भस्मिभूत हो गया| फिर भी सृ्ष्टी के नियमो के अनुसार उनकी गती न होने से पैशा्चिक योनी में गया मृत आत्मा स्वयंपर हुए अन्याय का बदला लेने के इरादे से संबंधितो को अनेक प्रकार के दुःख देता है|
महत्वपूर्ण सुचना:
- नारायण नागबली पूजा 3 दिनों की है जिसमे विधी करने वालोको 3 दिन त्र्यंबकेश्वर मे रुकना पडता है।
- विधी के लिए लगनेवाली सामग्री -
पुरुषोंके लिए - १ धोती, १ बनियान, १ अंडरवेअर, १ गमछा, १ नॅपकीन
त्रियोंके लिए - १ साडी, १ ब्लाऊज, १ पेटीकोट, १ नॅपकीन इत्यादी
- उपर दिए सभी वस्त्र नए होने चाहीए और यह वस्त्र काला और हरा रंग छोडकर कौनसे भी रंग के चलेंगे |पुजा संपन्न होने के बाद वस्त्र यहा छोड देने होते है|
- शास्त्र के अनुसार पुजा के लिए १ ग्रॅम वजनी सुवर्ण (सोने की) नागप्रतीमा लगती है| यह नाग प्रतीमा पुजा के बाद तिसरे दिन पंडितजीको दान देना होती है|
- कृपया मुहर्त के एक दिन पहले सभी लोग श्याम ६ बजे तक पहुच जाये|
- जिस मुहुरतको विधी करनी हो उसकी सुना पंडीतजी को दे, अपना नाम, पत्ता, दुरध्वनी/ मोबाईल आदी जानकारी पंडितजीको देकर आरक्षण करे, ताकी अव्यवस्थाका सामना न करना पडे|
- कृपया यह पर ठहरनेके लिए रूम उपलब्ध होने हेतू आयडेंटी प्रुफ जैसे ड्रायव्हिंग लायसन, पॅन कार्ड साथ लाना जरुरी है|
- रूम का किराया, भोजनकी सुविधा इसका चार्ज विधी की दक्षणा के अलावा आपको देना होता है|